स्कूल के दिन
वो दिन भी क्या हसीन होते थे
आंखों में जब सपने लिए रहते थे
मिलने को यारो से
हम सब स्कूल जाया करते थे
वो दिन भी क्या हसीन होते थे
आंखों में जब सपने लिए रहते थे
कभी ज्यादा पढ़ना,तो कभी बंक करते थे
दोस्त यार के साथ मस्ती मज़ाक करते थे
लग जाए भूख अगर तो
ब्रेक से पहले टिफिन भी खोल लिया करते थे
वो दिन भी क्या हसीन होते थे
आंखों में जब सपने लिए रहते थे
सारे टीचरों के कुछ नाम होते थे
जो कोई ना जाने ऐसे कारनामे भी करते थे
ऐसे लम्हे अब मिलेंगे नहीं
इसलिए ये लम्हे कुछ ख़ास होते थे
वो दिन भी हसीन होते थे
आंखों में जब सपने लिए रहते थे
आंखों ही आंखों से प्यार करते थे
दोस्ती ना टूट जाए इसलिए इज़हार नहीं करते थे
कोई और उससे बात कर ले तो
उससे लड़ने के लिए भी तैयार रहते थे
वो दिन भी क्या हसीन होते थे
आंखों में जब सपने लिए रहते थे
वो लम्हे भी क्या खूब हसींन होते थे
स्कूल वाले दोस्त ही तो सबसे करीब होते थे
कैसे कोई भूल जाए उन लम्हों को
वो लम्हे ही तो ज़िन्दगी के ख़ास होते थे
वो दिन भी क्या हसीन होते थे
आंखों में जब सपने लिए रहते थे
Like cmnt subscribe n share